स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ:शेयर बाजार में सफल होने के लिए उसकी भाषा समझना बहुत जरूरी है। क्या आप जानते हैं कि डे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, बुल और बियर मार्केट जैसे शब्दों का क्या मतलब होता है? आज हम आपको स्टॉक मार्केट से जुड़े 50 से अधिक महत्वपूर्ण शब्दों और उनके अर्थों से परिचित कराएंगे। यह ज्ञान नए निवेशकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा और उन्हें बाजार को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।

बेसिक टर्मिनोलॉजी :स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

शेयर (Share)

शेयर किसी कंपनी में स्वामित्व की सबसे छोटी इकाई को कहते हैं। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप रिलायंस कंपनी का एक शेयर खरीदते हैं, तो आप रिलायंस कंपनी के एक छोटे से हिस्से के मालिक बन जाते हैं।

डीमैट अकाउंट (Demat Account)

डीमैट अकाउंट एक ऐसा खाता होता है जहाँ आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर रहते हैं। यह बिल्कुल आपके बैंक अकाउंट की तरह होता है, लेकिन इसमें पैसे की जगह शेयर जमा रहते हैं। आजकल शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए डीमैट अकाउंट अनिवार्य है।

ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account)

ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसके जरिए आप शेयर बाजार में खरीद-बिक्री के आदेश देते हैं। यह आपके डीमैट अकाउंट और बैंक अकाउंट के बीच की कड़ी का काम करता है। बिना ट्रेडिंग अकाउंट के आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं कर सकते।

सेंसेक्स (SENSEX)

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सूचकांक है। इसमें BSE में सूचीबद्ध 30 सबसे बड़ी और सबसे अधिक ट्रेड होने वाली कंपनियाँ शामिल होती हैं। सेंसेक्स बाजार के समग्र प्रदर्शन को दर्शाता है।

निफ्टी (NIFTY)

निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का सूचकांक है। इसमें NSE में सूचीबद्ध 50 सबसे बड़ी और सबसे अधिक ट्रेड होने वाली कंपनियाँ शामिल होती हैं। निफ्टी भी बाजार के प्रदर्शन को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण सूचकांक है।

ट्रेडिंग से जुड़े शब्द:स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

डे ट्रेडिंग (Day Trading)

डे ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग शैली है जिसमें ट्रेडर एक ही दिन के भीतर शेयरों को खरीदता और बेचता है। कोई भी पोजीशन रात भर के लिए नहीं रखी जाती। इसका उद्देश्य शेयरों के छोटे-छोटे मूल्य परिवर्तनों से लाभ कमाना होता है।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर शेयरों को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक होल्ड करते हैं। इसका लक्ष्य शेयरों के मध्यम अवधि के मूल्य परिवर्तनों से लाभ कमाना होता है। यह डे ट्रेडिंग से कम रिस्की मानी जाती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

इंट्राडे ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग का ही दूसरा नाम है। इसमें भी सभी ट्रेड एक ही दिन के भीतर किए जाते हैं और कोई पोजीशन ओवरनाइट नहीं रखी जाती।

पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)

पोजीशनल ट्रेडिंग एक लंबी अवधि की ट्रेडिंग शैली है। इसमें ट्रेडर शेयरों को हफ्तों, महीनों या कभी-कभी सालों तक भी होल्ड करते हैं। इसका लक्ष्य बाजार के बड़े ट्रेंड्स से लाभ उठाना होता है।

स्टॉप लॉस (Stop Loss)

स्टॉप लॉस एक ऑटोमेटिक ऑर्डर होता है जो आपके शेयर को एक पहले से तय कीमत पर बेच देता है। इसका उद्देश्य बड़े नुकसान से बचना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने एक शेयर 100 रुपये में खरीदा है और आप 90 रुपये पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो जैसे ही शेयर की कीमत 90 रुपये तक गिरेगी, वह स्वतः ही बिक जाएगा।

टार्गेट प्राइस (Target Price)

टार्गेट प्राइस वह कीमत होती है जहाँ तक आप उम्मीद करते हैं कि शेयर की कीमत बढ़ेगी। जब शेयर की कीमत टार्गेट प्राइस तक पहुँच जाती है, तो आप उसे बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।

मार्केट कंडीशन से जुड़े शब्द:

बुल मार्केट (Bull Market)

बुल मार्केट तेजी के बाजार को कहते हैं। जब बाजार लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा होता है और निवेशक आशावादी होते हैं, तो उसे बुल मार्केट कहते हैं। बुल (सांड) अपने सींगों को नीचे से ऊपर की ओर उठाता है, इसलिए इसका नाम बुल मार्केट पड़ा।

बियर मार्केट (Bear Market)

बियर मार्केट मंदी के बाजार को कहते हैं। जब बाजार लगातार नीचे की ओर गिर रहा होता है और निवेशक निराशावादी होते हैं, तो उसे बियर मार्केट कहते हैं। भालू (Bear) अपने पंजे ऊपर से नीचे की ओर मारता है, इसलिए इसका नाम बियर मार्केट पड़ा।

करेक्शन (Correction)

करेक्शन तब होता है जब बाजार 10% से 20% तक गिर जाता है। इसे स्वस्थ गिरावट माना जाता है और यह बाजार का सामान्य हिस्सा है। करेक्शन के बाद बाजार फिर से ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर देता है।

क्रैश (Crash)

क्रैश तब होता है जब बाजार में अचानक और तेजी से गिरावट आती है। आमतौर पर जब बाजार एक दिन में 10% या उससे अधिक गिर जाता है, तो उसे क्रैश माना जाता है। क्रैश बहुत ही डरावना हो सकता है, लेकिन इतिहास बताता है कि हर क्रैश के बाद बाजार में रिकवरी आई है।

वोलैटिलिटी (Volatility)

वोलैटिलिटी बाजार के उतार-चढ़ाव की मात्रा को कहते हैं। जब बाजार में तेजी से उतार-चढ़ाव होते हैं, तो उसे हाई वोलैटिलिटी कहते हैं। जब बाजार स्थिर रहता है, तो उसे लो वोलैटिलिटी कहते हैं।

इन्वेस्टमेंट से जुड़े शब्द:स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

पोर्टफोलियो (Portfolio)

पोर्टफोलियो आपके सभी निवेशों के संग्रह को कहते हैं। इसमें आपके सभी शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड्स और अन्य निवेश शामिल होते हैं। एक अच्छा पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होना चाहिए।

डायवर्सिफिकेशन (Diversification)

डायवर्सिफिकेशन का मतलब है अपने निवेश को अलग-अलग जगहों पर बाँटना। जैसे कि अलग-अलग कंपनियों के शेयरों में, अलग-अलग सेक्टरों में, और अलग-अलग एसेट क्लासेस में निवेश करना। इससे रिस्क कम हो जाता है।

एसेट एलोकेशन (Asset Allocation)

एसेट एलोकेशन का मतलब है अपनी पूंजी को अलग-अलग एसेट क्लासेस में बाँटना। जैसे कि कुछ पैसा शेयरों में, कुछ बॉन्ड्स में, कुछ गोल्ड में, और कुछ रियल एस्टेट में निवेश करना। यह आपकी उम्र, लक्ष्यों और रिस्क टॉलरेंस के आधार पर तय होता है।

रिस्क टॉलरेंस (Risk Tolerance)

रिस्क टॉलरेंस आपके द्वारा ले जा सकने वाले जोखिम की मात्रा को कहते हैं। हर व्यक्ति की रिस्क टॉलरेंस अलग-अलग होती है। युवाओं की रिस्क टॉलरेंस अधिक होती है, जबकि बुजुर्गों की कम होती है।

लिक्विडिटी (Liquidity)

लिक्विडिटी का मतलब है कि आप कितनी आसानी से अपने निवेश को नकदी में बदल सकते हैं। शेयर बाजार में हाई लिक्विडिटी होती है, क्योंकि आप जब चाहें अपने शेयर बेच सकते हैं और पैसा प्राप्त कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस से जुड़े शब्द

P/E रेश्यो (P/E Ratio)

P/E रेश्यो का पूरा नाम प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो है। यह बताता है कि शेयर की कीमत उसकी कमाई के मुकाबले कितनी है। उदाहरण के लिए, अगर किसी शेयर का P/E रेश्यो 20 है, तो इसका मतलब है कि निवेशक उसकी 1 रुपये की कमाई के लिए 20 रुपये देने को तैयार हैं।

P/B रेश्यो (P/B Ratio)

P/B रेश्यो का पूरा नाम प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो है। यह बताता है कि शेयर की कीमत उसकी बुक वैल्यू के मुकाबले कितनी है। अगर P/B रेश्यो 1 से कम है, तो इसका मतलब है कि शेयर उसकी बुक वैल्यू से सस्ता मिल रहा है।

ROE (Return on Equity)

ROE का पूरा नाम रिटर्न ऑन इक्विटी है। यह बताता है कि कंपनी शेयरधारकों की इक्विटी पर कितना रिटर्न कमा रही है। 15% से अधिक ROE अच्छा माना जाता है।

ROCE (Return on Capital Employed)

ROCE का पूरा नाम रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड है। यह बताता है कि कंपनी अपनी कुल लगाई गई पूंजी पर कितना रिटर्न कमा रही है। 18% से अधिक ROCE अच्छा माना जाता है।

डेट टू इक्विटी रेश्यो (Debt to Equity Ratio)

डेट टू इक्विटी रेश्यो बताता है कि कंपनी पर कुल कर्ज उसकी इक्विटी के मुकाबले कितना है। 1 से कम का रेश्यो सुरक्षित माना जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस से जुड़े शब्द

सपोर्ट (Support)

सपोर्ट वह स्तर होता है जहाँ खरीदारी की दिलचस्पी बढ़ जाती है और कीमत गिरना रुक जाती है। यह वह फ्लोर है जहाँ से कीमत के उछलने की संभावना होती है।

रेजिस्टेंस (Resistance)

रेजिस्टेंस वह स्तर होता है जहाँ विक्रेता सक्रिय हो जाते हैं और कीमत बढ़ना रुक जाती है। यह वह सीलिंग है जहाँ से कीमत के वापस लौटने की संभावना होती है।

ट्रेंड लाइन (Trend Line)

ट्रेंड लाइन एक सीधी रेखा होती है जो चार्ट पर कीमत के उच्च या निम्न स्तरों को जोड़ती है। यह ट्रेंड की दिशा को दर्शाती है।

मूविंग एवरेज (Moving Average)

मूविंग एवरेज एक सांख्यिकीय टूल है जो कीमत के उतार-चढ़ाव को स्मूद करके ट्रेंड की दिशा को स्पष्ट रूप से दिखाता है। 20 दिन, 50 दिन और 200 दिन की मूविंग एवरेज सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं।

RSI (Relative Strength Index)

RSI एक मोमेंटम ऑसिलेटर है जो 0 से 100 के स्केल पर काम करता है। जब RSI 70 से ऊपर होता है, तो शेयर ओवरबॉट माना जाता है। जब 30 से नीचे होता है, तो शेयर ओवरसोल्ड माना जाता है।

म्यूचुअल फंड से जुड़े शब्द

NAV का पूरा नाम नेट एसेट वैल्यू है। यह म्यूचुअल फंड की प्रति यूनिट की कीमत होती है। NAV की गणना फंड की कुल संपत्ति में से कुल देनदारियों को घटाकर और कुल यूनिट्स की संख्या से भाग देकर की जाती है।

SIP (Systematic Investment Plan)

SIP का पूरा नाम सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान है। यह म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है जिसमें आप हर महीने एक निश्चित रकम निवेश करते हैं। SIP से रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है।

लुम्पसम (Lumpsum)

लुम्पसम निवेश में आप एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करते हैं। यह SIP के विपरीत होता है। लुम्पसम निवेश तब फायदेमंद होता है जब आपको लगता है कि बाजार नीचे है।

एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio)

एक्सपेंस रेश्यो म्यूचुअल फंड द्वारा लिया जाने वाला वार्षिक शुल्क होता है। यह फंड की कुल संपत्ति के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। कम एक्सपेंस रेश्यो बेहतर होता है।

कॉर्पोरेट एक्शन से जुड़े शब्द

डिविडेंड (Dividend)

डिविडेंड कंपनी के मुनाफे का वह हिस्सा है जो वह अपने शेयरधारकों को बाँटती है। डिविडेंड आमतौर पर प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी 10 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देती है और आपके पास 100 शेयर हैं, तो आपको 1000 रुपये डिविडेंड मिलेगा।

बोनस शेयर (Bonus Share)

बोनस शेयर वे अतिरिक्त शेयर होते हैं जो कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त में देती है। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी 1:1 बोनस देती है, तो इसका मतलब है कि आपके पास जितने शेयर हैं, उतने ही अतिरिक्त शेयर आपको मुफ्त में मिल जाएंगे।

स्प्लिट (Split)

स्प्लिट तब होता है जब कंपनी एक शेयर को कई शेयरों में बाँट देती है। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी 1:5 स्प्लिट करती है, तो इसका मतलब है कि एक शेयर पाँच शेयरों में बँट जाएगा। स्प्लिट से शेयर की कीमत कम हो जाती है, लेकिन शेयरधारकों की कुल हिस्सेदारी वही रहती है।

राइट्स इश्यू (Rights Issue)

राइट्स इश्यू तब होता है जब कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को नए शेयर खरीदने का अधिकार देती है। इन शेयरों की कीमत बाजार भाव से कम होती है। शेयरधारक चाहें तो यह अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं या इसे बेच सकते हैं।

एडवांस्ड टर्मिनोलॉजी:स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

फ्यूचर्स (Futures)

फ्यूचर्स एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें दो पक्ष भविष्य की एक निश्चित तारीख पर एक निश्चित कीमत पर किसी एसेट को खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं। फ्यूचर्स का इस्तेमाल हेजिंग या सट्टेबाजी के लिए किया जाता है।

ऑप्शन्स (Options)

ऑप्शन्स भी एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है जो खरीदार को अधिकार देता है (लेकिन कर्तव्य नहीं) कि वह भविष्य की एक निश्चित तारीख पर एक निश्चित कीमत पर किसी एसेट को खरीदे या बेचे। कॉल ऑप्शन खरीदने का अधिकार देता है, जबकि पुट ऑप्शन बेचने का अधिकार देता है।

सेंटीमेंट (Sentiment)

सेंटीमेंट निवेशकों की भावनाओं और मनोदशा को कहते हैं। जब निवेशक आशावादी होते हैं, तो बाजार सेंटीमेंट पॉजिटिव होता है। जब निराशावादी होते हैं, तो बाजार सेंटीमेंट नेगेटिव होता है।

मार्केट कैप (Market Capitalization)

मार्केट कैप कंपनी के कुल बाजार मूल्य को कहते हैं। इसकी गणना कंपनी के कुल शेयरों की संख्या को एक शेयर की कीमत से गुणा करके की जाती है। मार्केट कैप के आधार पर कंपनियों को लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में बाँटा जाता है।

निष्कर्ष :स्टॉक मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

स्टॉक मार्केट की भाषा सीखना हर निवेशक के लिए बहुत जरूरी है। यह शब्दावली आपको बाजार को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी और आपको सही निवेश निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी। इन शब्दों को समझने के बाद आप वित्तीय समाचारों, विश्लेषणों और शोध रिपोर्टों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। नियमित रूप से अभ्यास करें और नए शब्द सीखते रहें। यह ज्ञान आपको एक सफल निवेशक बनने की राह पर आगे बढ़ाएगा।

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