ट्रेडिंग क्या है और निवेश से कैसे अलग है? — आसान भाषा में मार्केट एनालिसिस और कैंडलस्टिक कहानियाँ

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ट्रेडिंग क्या है और निवेश से कैसे अलग है?

ट्रेडिंग क्या है?

ट्रेडिंग का मतलब है छोटे समय में शेयरों को खरीदना और बेचना। जैसे आप सब्जी मंडी से सब्जी खरीदते हैं और थोड़े से फायदे पर उसे बेच देते हैं, वैसे ही ट्रेडिंग में आप शेयर खरीदते हैं और कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों में बेच देते हैं। ट्रेडिंग का मकसद होता है छोटे-छोटे फायदे कमाना, बार-बार।

निवेश क्या है?

निवेश का मतलब है लंबे समय के लिए शेयर खरीदना। जैसे आप एक पौधा लगाते हैं और सालों तक उसे बढ़ने देते हैं, वैसे ही निवेश में आप किसी कंपनी का शेयर सालों के लिए खरीदते हैं। निवेश का मकसद होता है कंपनी के साथ बढ़ना और लंबे समय में बड़ा फायदा कमाना।

ट्रेडिंग और निवेश में अंतर:

समय का फर्क: ट्रेडिंग: कुछ मिनटों से लेकर कुछ हफ्तों तक, निवेश: 1 साल से लेकर 10-20 साल तक

सोच का फर्क: ट्रेडर सोचता है: “आज इशेयर से 100 रुपये कमा लूं”,

निवेशक सोचता है: “यह कंपनी अगले 10 साल में 10 गुना बढ़ जाएगी”- ट्रेडिंग में खतरा ज्यादा , निवेश में खतरा कम होता है

ट्रेडिंग के लिए रोज कई घंटे देना पड़ता है

निवेश के लिए महीने में एक बार देखना भी काफी होता है

काम का तरीका: ट्रेडर चार्ट और खबरों को देखकर फैसला लेता है, निवेशक कंपनी के बिजनेस को समझकर फैसला लेता है

उदाहरण से समझें:

मान लो राम और श्याम दोनों ने TCS का शेयर 3000 रुपये में खरीदा।

राम (ट्रेडर): उसने शेयर सुबह 10 बजे खरीदा और दोपहर 2 बजे 3100 रुपये में बेच दिया। 100 रुपये कमाए।

श्याम (निवेशक): उसने शेयर खरीदा और 2 साल तक रखा। 2 साल बाद शेयर 4500 रुपये का हो गया। 1500 रुपये कमाए।

दोनों ने पैसा कमाया, लेकिन तरीका अलग था।

ट्रेडिंग के प्रकार:

इंट्राडे ट्रेडिंग (डे ट्रेडिंग)

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है: एक ही दिन में शेयर खरीदना और उसी दिन बेच देना; शाम तक सारी पोज़िशन बंद करनी होती है।
कैसे चलता है: बाज़ार खुलते ही एंट्री ली जाती है, दिन के भीतर सही मौके पर एग्ज़िट की जाती है, और बाज़ार बंद होने से पहले सारी होल्डिंग्स निकाल दी जाती हैं।
फायदे: रोज़ाना कमाई की संभावना, तेज़ मुनाफ़ा, रात को कोई होल्डिंग नहीं इसलिए ओवरनाइट रिस्क नहीं।
नुकसान: जोखिम बहुत ऊँचा, पूरे दिन स्क्रीन पर ध्यान रखना पड़ता है, छोटी गलती भी बड़ा नुकसान करा सकती है।
उदाहरण: सुबह 9:20 पर शेयर 500 में खरीदा, दोपहर 1:15 पर 510 में बेच दिया; दिन खत्म होने से पहले पोज़िशन शून्य—यही इंट्राडे।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) — इसमें ट्रेडर शेयर को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रखता है ताकि छोटे-छोटे ट्रेंड्स का फायदा ले सके। यह इंट्राडे से थोड़ा शांत खेल है। रोज़ स्क्रीन पर चिपके रहने की ज़रूरत नहीं, बस 2-3 दिन या 1-2 हफ्ते तक सही मौके का इंतज़ार। इसमें फायदा बड़ा मिल सकता है लेकिन जोखिम भी रहता है — क्योंकि रातों को शेयर होल्ड करना पड़ता है, और अगर सुबह कोई अचानक खबर आ जाए तो नुकसान भी हो सकता है।

उदाहरण:

सीता सोमवार को HDFC बैंक का शेयर 1400 रुपये में खरीदती है। वह जानती है कि शुक्रवार को बैंक के नतीजे आने वाले हैं। शुक्रवार को नतीजे अच्छे आते हैं और शेयर 1500 रुपये हो जाता है। वह बेच देती है। 100 रुपये प्रति शेयर का फायदा।

पोजिशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) , इसमें ट्रेडर शेयर को कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रखता है। यह तरीका थोड़ा लंबी सोच वाला होता है , शेयर खरीदकर 1 महीने से लेकर 1 साल तक इंतज़ार किया जाता है और फिर सही समय पर बेचा जाता है। इसमें रोज़ बाजार देखने की जरूरत नहीं होती, खतरा भी कम होता है और अच्छे मुनाफे की संभावना रहती है। लेकिन इसमें पैसा लंबे समय तक बंधा रहता है और बीच के छोटे मौके छूट सकते हैं।

उदाहरण:

मोहन जनवरी में मारुति का शेयर 7000 रुपये में खरीदता है। उसे पता है कि त्योहारों के सीजन (सितंबर-अक्टूबर) में कारों की बिक्री बढ़ेगी। अक्टूबर में शेयर 8500 रुपये हो जाता है। वह बेच देता है। 1500 रुपये प्रति शेयर का फायदा।

स्कैल्पिंग

स्कैल्पिंग सबसे तेज ट्रेडिंग है। इसमें ट्रेडर कुछ मिनटों या सेकंडों में शेयर खरीदता और बेचता है।

स्कैल्पिंग (Scalping) : इसमें ट्रेडर कुछ मिनटों या सेकंडों के लिए शेयर खरीदता और बेचता है, बस छोटे-छोटे मुनाफे के लिए। हर ट्रेड में 2-5 रुपये का फायदा और दिन में 20-30 ऐसे ट्रेड किए जाते हैं।
फायदे: जल्दी-जल्दी छोटे मुनाफे और रोज़ कई मौके।
नुकसान: बहुत ज़्यादा खतरा, पलक झपकते ही नुकसान और ब्रोकरेज भी ज़्यादा।

उदाहरण:

अजय 10:00 बजे Reliance का शेयर 2400 रुपये में खरीदता है। 10:02 बजे शेयर 2403 रुपये हो जाता है। वह बेच देता है। 3 रुपये प्रति शेयर का फायदा। वह दिन में ऐसे 25 ट्रेड करता है।

मार्केट टाइमिंग और वॉल्यूम का महत्व

मार्केट टाइमिंग क्यों मायने रखती है?

शेयर बाजार का समय ट्रेडिंग में बहुत महत्वपूर्ण है। अलग-अलग समय पर बाजार अलग-अलग व्यवहार करता है।

बाजार के समय और उनकी चाल

सुबह 9:15 से 10:30 तक का समय शेयर बाजार का ओपनिंग टाइम होता है। इस वक्त बाजार में सबसे ज्यादा हलचल देखी जाती है , शेयर तेजी से ऊपर-नीचे होते हैं। यह समय ट्रेडर्स के लिए एक अच्छा मौका होता है क्योंकि वॉल्यूम और मूवमेंट दोनों ही ज्यादा रहते हैं, लेकिन साथ ही इसमें जोखिम भी सबसे अधिक होता है।

दोपहर 11:00 से 2:30 के बीच बाजार आमतौर पर शांत रहता है। इस दौरान शेयरों की चाल धीमी हो जाती है और उतार-चढ़ाव कम देखने को मिलता है। यह समय नए ट्रेडर्स के लिए उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि यहां वे बिना ज्यादा जोखिम के मार्केट मूवमेंट को समझ सकते हैं।

शाम 2:30 से 3:30 के बीच बाजार फिर से सक्रिय हो उठता है। यह समय क्लोजिंग फेज़ कहलाता है, जब निवेशक और ट्रेडर अंतिम समय में खरीदारी या बिकवाली करते हैं। इस समय बड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं और कई बार यही आखिरी घंटे दिन की दिशा तय कर देते हैं।

सप्ताह के दिनों की भी अपनी अहमियत होती है।
सोमवार को नए हफ्ते की शुरुआत होती है, जिससे बाजार की नई दिशा बनती है।
मंगलवार से गुरुवार तक सामान्य ट्रेडिंग माहौल रहता है, जबकि शुक्रवार को अक्सर निवेशक हफ्ते के अंत से पहले मुनाफा बुकिंग के लिए शेयर बेचते हैं।

महीने के आखिरी दिनों में भी विशेष हलचल देखी जाती है , लोग अपने निवेश से पैसा निकालते हैं, जिससे बाजार में बिकवाली बढ़ जाती है।

वहीं बजट, नतीजों या किसी बड़े आर्थिक ऐलान वाले दिन बाजार में मानो तूफान आ जाता है। शेयर तेज़ी से ऊपर-नीचे होते हैं, वोलैटिलिटी बढ़ जाती है और यह समय केवल अनुभवी ट्रेडर्स के लिए सही माना जाता है। नए निवेशकों के लिए ऐसे दिन अत्यधिक जोखिमभरे हो सकते हैं।

वॉल्यूम क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

वॉल्यूम का मतलब है एक दिन में कितने शेयर खरीदे-बेचे गए।

शेयर की ताकत पता चलती है:

 ज्यादा वॉल्यूम मतलब ज्यादा लोगों की दिलचस्पी, कम वॉल्यूम मतलब कम दिलचस्पी

वॉल्यूम से ही ट्रेड की पुष्टि होती है इसे आप ऐसे समझे – अगर शेयर ऊपर जा रहा है और वॉल्यूम भी ज्यादा है = असली तेजी, अगर शेयर ऊपर जा रहा है लेकिन वॉल्यूम कम है = नकली तेजी

खरीदने-बेचने का सही समय पता चलता है:

जब वॉल्यूम अचानक बढ़े = कोई बड़ी खबर आने वाली है, वॉल्यूम कम हो = इंतजार करने का समय

वॉल्यूम के प्रकार:

हाई वॉल्यूम:

मतलब: ज्यादा खरीदारी-बिकवाली

कब होता है: नतीजे आने पर, बजट के दिन, बड़ी खबर आने पर

क्या करें: सतर्क रहें, मौका मिले तो ट्रेड करें

लो वॉल्यूम:

मतलब: कम खरीदारी-बिकवाली

कब होता है: त्योहारों पर, छुट्टियों पर, बाजार सुस्त हो तो

क्या करें: ट्रेड न करें, इंतजार करें

उदाहरण :

TCS के शेयर पर नजर डालें:

सामान्य दिन: 10 लाख शेयरों का वॉल्यूम

नतीजे वाला दिन: 50 लाख शेयरों का वॉल्यूम

इसका मतलब नतीजे वाले दिन 5 गुना ज्यादा लोग TCS के शेयर खरीद-बेच रहे हैं। यह संकेत है कि कोई बड़ी खबर आने वाली है।

ट्रेडिंग के महत्वपूर्ण नियम

स्टॉप लॉस जरूर लगाएं:

   स्टॉप लॉस एक ऑर्डर होता है जो आपके नुकसान को सीमित करता है। जैसे आपने शेयर 100 रुपये में खरीदा और स्टॉप लॉस 95 रुपये लगा दिया। अगर शेयर 95 रुपये तक गिरेगा तो अपने आप बिक जाएगा। इससे ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

लालच न करें:

   जब फायदा हो तो शेयर बेच दें। लालच में पड़कर शेयर न रखें। कहावत है: “बुल्स मुनाफा कमाते हैं, बियर्स मुनाफा कमाते हैं, लेकिन पिग्स कटते हैं”

भावनाओं से दूर रहें:

   डर और लालच ट्रेडिंग के सबसे बड़े दुश्मन हैं। फैसला दिमाग से लें, दिल से नहीं।

पूंजी का प्रबंधन:

   एक ही ट्रेड में सारा पैसा न लगाएं पूंजी को अलग-अलग ट्रेड में बांटें।

ज्ञान बढ़ाते रहें: ट्रेडिंग सीखने की कोई सीमा नहीं है। हमेशा नया सीखते रहें।

निष्कर्ष

ट्रेडिंग एक कला है जिसमें अनुशासन, धैर्य और ज्ञान की जरूरत होती है। शुरुआत छोटे पैसे से करें और धीरे-धीरे सीखें। हमेशा याद रखें कि ट्रेडिंग जुआ नहीं है, बल्कि एक कौशल है। सीखने में समय लगेगा, लेकिन एक बार सीख जाएं तो अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

मार्केट एनालिसिस के प्रकार – आसान भाषा में समझें

टेक्निकल एनालिसिस – चार्ट्स देखकर भविष्य बताना

चार्ट्स पढ़ना – शेयर की भाषा समझना

कैंडलस्टिक चार्ट:

यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला चार्ट है। हर कैंडल एक समय (1 दिन, 1 घंटा, 15 मिनट) की कीमत की जानकारी देती है।

कैंडल के तीन मुख्य हिस्से:

रियल बॉडी (मोटा हिस्सा)- ओपन और क्लोज प्राइस दिखाता है

अपर विक (ऊपर की लाइन)- उस दिन की सबसे ऊंची कीमत

लोअर विक (नीचे की लाइन) – उस दिन की सबसे निचली कीमत

कैंडल के रंग:

हरी कैंडल: क्लोज प्राइस ओपन प्राइस से ऊपर (तेजी)

लाल कैंडल: क्लोज प्राइस ओपन प्राइस से नीचे (मंदी)

उदाहरण: अगर TCS का शेयर सुबह 3200 रुपये पर खुला और शाम को 3250 रुपये पर बंद हुआ, तो हरी कैंडल बनेगी।

लाइन चार्ट:

यह सबसे सरल चार्ट है। इसमें सिर्फ क्लोजिंग प्राइस को जोड़कर एक लाइन बनाई जाती है। नए लोगों के लिए आसान।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस समझना – शेयर की रुकने की जगह

सपोर्ट (सहारा):

जिस कीमत पर शेयर गिरकर रुक जाता है और फिर ऊपर आने लगता है। जैसे कोई गेंद फर्श पर गिरकर उछलती है।

उदाहरण: Reliance का शेयर 2400 रुपये पर बार-बार गिरकर वापस ऊपर आ रहा है। तो 2400 रुपये उसका सपोर्ट है।

📈 सपोर्ट, रजिस्टेंस और ट्रेंड की समझ

शेयर बाजार में रजिस्टेंस (रुकावट) वह कीमत होती है जहाँ शेयर बढ़ते-बढ़ते रुक जाता है और फिर नीचे आने लगता है , जैसे कोई गेंद छत से टकराकर नीचे गिरती है। उदाहरण के लिए, अगर Infosys का शेयर 1600 रुपये तक जाकर बार-बार नीचे आता है, तो 1600 रुपये उसका रजिस्टेंस कहलाता है। ट्रेडिंग में इसका उपयोग बहुत आसान है , सपोर्ट के पास खरीदें, रजिस्टेंस के पास बेचें, अगर सपोर्ट टूट जाए तो बेचें, और रजिस्टेंस टूट जाए तो खरीदें

शेयर की दिशा पहचानने को ट्रेंड (Trend) कहा जाता है। जब कोई शेयर लगातार ऊपर जा रहा हो और हर बार नया ऊँचा सपोर्ट और रजिस्टेंस बना रहा हो, तो इसे अपट्रेंड (तेजी) कहा जाता है। इसकी पहचान है कि चार्ट पर हरी कैंडल्स ज़्यादा दिखती हैं। वहीं, जब शेयर लगातार नीचे गिर रहा हो और हर बार निचले स्तर बनाता जा रहा हो, तो वह डाउनट्रेंड (मंदी) कहलाता है। इसमें लाल कैंडल्स ज़्यादा होती हैं। अगर शेयर न ऊपर जा रहा हो न नीचे, बल्कि एक ही दायरे में घूम रहा हो, तो यह साइडवेज ट्रेंड कहलाता है, जहाँ सपोर्ट और रजिस्टेंस लगभग समान रहते हैं।

चार्ट पैटर्न्स — शेयर की चाल के संकेत

हेड एंड शोल्डर्स (Head & Shoulders) पैटर्न तब बनता है जब शेयर की तेजी खत्म होने वाली होती है। इसमें बायां कंधा ऊपर जाकर नीचे आता है, फिर सिर और ऊँचा बनता है, और अंत में दायां कंधा ऊपर जाकर नीचे आता है , इसका मतलब है कि अब शेयर गिर सकता है।
डबल टॉप (Double Top) पैटर्न में शेयर एक ही कीमत पर दो बार जाकर नीचे आता है , यह भी गिरावट का संकेत देता है।
वहीं डबल बॉटम (Double Bottom) पैटर्न में शेयर एक ही स्तर पर दो बार गिरकर ऊपर आता है , यह संकेत देता है कि अब शेयर ऊपर जा सकता है।

फ्लैग (Flag) पैटर्न में पहले तेज़ी या मंदी आती है (डंडा), फिर कुछ समय बाजार शांत रहता है (झंडा), और उसके बाद वही चाल दोबारा जारी रहती है।
ट्रायंगल (Triangle) पैटर्न तीन तरह के होते हैं , Ascending (ऊपर जाता), Descending (नीचे आता) और Symmetrical (बराबर) , ये बताते हैं कि शेयर जल्द ही बड़ी चाल चल सकता है।

इंडिकेटर्स और ऑसिलेटर्स , गणित से मार्केट को समझना

RSI (Relative Strength Index) यह बताता है कि शेयर ज्यादा खरीदा गया है या ज्यादा बेचा गया है

  • जब RSI 70 से ऊपर होता है, तो यह बेचने का संकेत है।
  • 30 से नीचे हो तो यह खरीदने का मौका देता है।
  • और 50 के आसपास होने पर बाजार सामान्य रहता है।

MACD (Moving Average Convergence Divergence) दो लाइनों से बनता है , MACD लाइन और सिग्नल लाइन।

  • अगर MACD लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर से काटे, तो यह खरीदने का संकेत देता है।
  • और अगर नीचे से काटे, तो बेचने का संकेत देता है।

मूविंग एवरेज (Moving Average) किसी शेयर की औसत कीमत बताता है।

  • 20 दिन का MA , छोटी अवधि के लिए
  • 50 दिन का MA, मध्यम अवधि के लिए
  • 200 दिन का MA, लंबी अवधि के लिए
    अगर छोटा मूविंग एवरेज बड़े को ऊपर से काटे, तो खरीदें, और अगर नीचे से काटे, तो बेचें।

बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) तीन लाइनों से बनते हैं , ऊपरी, मध्य (MA), और निचला बैंड।

  • अगर शेयर ऊपरी बैंड को छुए, तो वह ज्यादा खरीदा हुआ है , बेचने का संकेत।
  • अगर निचले बैंड को छुए, तो वह ज्यादा बेचा हुआ है , खरीदने का मौका।
  • बैंड चौड़ा हो तो बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव है, और बैंड संकरा हो तो बाजार शांत है।

फंडामेंटल एनालिसिस , खबरों और नतीजों का असर

अर्निंग्स एनाउंसमेंट (Earnings): हर तीन महीने में कंपनियाँ अपने परिणाम घोषित करती हैं।

  • अगर कमाई और मुनाफा उम्मीद से बेहतर हो, तो शेयर ऊपर जाता है।
  • अगर नतीजे खराब हों, तो शेयर नीचे गिरता है।
    उदाहरण के लिए, जब TCS के नतीजे बेहतर आए, शेयर अगले दिन 5% ऊपर खुला।

बोनस शेयर (Bonus Shares): जब कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को मुफ्त में शेयर देती है , जैसे 1:1 बोनस का मतलब हर 1 शेयर पर 1 और शेयर। इससे शेयर की कीमत घट जाती है लेकिन कुल मूल्य वही रहता है। इससे शेयर अक्सर ऊपर जाता है क्योंकि निवेशक उत्साहित होते हैं।

स्टॉक स्प्लिट (Stock Split): जब एक शेयर को कई हिस्सों में बाँटा जाता है , जैसे 1:5 स्प्लिट में 1 शेयर पाँच में बदल जाता है। इससे शेयर सस्ता हो जाता है और छोटे निवेशकों के लिए खरीदना आसान होता है।

मर्जर और एक्विज़िशन (M&A): जब दो कंपनियाँ मिलती हैं या एक दूसरी को खरीद लेती है।

  • खरीदने वाली कंपनी का शेयर गिर सकता है क्योंकि उसे पैसा खर्च करना पड़ता है।
  • बिकने वाली कंपनी का शेयर बढ़ सकता है क्योंकि उसे प्रीमियम मिलता है।
    जैसे जब HDFC बैंक और HDFC लिमिटेड का विलय हुआ, दोनों शेयरों में तेजी आई।

डिविडेंड (Dividend): जब कंपनी मुनाफे में से निवेशकों को हिस्सा देती है। इससे शेयर की कीमत थोड़ी गिरती है लेकिन निवेशक को नकद पैसा मिलता है , यानी लाभ दोनों तरफ।

प्रोडक्ट लॉन्च: जब कोई कंपनी नया उत्पाद लाती है, तो निवेशकों में उत्साह बढ़ता है। जैसे जब टाटा मोटर्स ने नई इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की, शेयर 8% ऊपर चला गया।

सरकारी नीतियाँ: सरकार के नए फैसले भी बाजार पर असर डालते हैं।

  • फायदेमंद नीति (जैसे टैक्स में कटौती) = शेयर ऊपर
  • नुकसान वाली नीति (जैसे टैक्स बढ़ाना) = शेयर नीचे
    उदाहरण के लिए, जब सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, सभी कंपनियों के शेयर ऊपर गए।

वैश्विक खबरें: दुनिया की घटनाओं का भी भारतीय बाजार पर असर होता है ,
अमेरिकी बाजारों की चाल, तेल की कीमतें, युद्ध, या महामारी जैसी घटनाएँ भारतीय शेयरों को प्रभावित करती हैं।
उदाहरण के लिए, जब अमेरिकी बाजार गिरते हैं, तो अगले दिन भारतीय बाजार भी गिरने लगते हैं।

💡 दोनों एनालिसिस को साथ में कैसे इस्तेमाल करें

सफल ट्रेडर हमेशा फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को मिलाकर निर्णय लेते हैं।
पहले वे फंडामेंटल एनालिसिस से अच्छी कंपनी चुनते हैं, फिर टेक्निकल एनालिसिस से खरीदने या बेचने का सही समय तय करते हैं।

उदाहरण के लिए ,
अगर TCS के नतीजे अच्छे आने वाले हैं (फंडामेंटल संकेत), और शेयर सपोर्ट के पास है तथा RSI 35 दिखा रहा है (टेक्निकल संकेत),
तो यह खरीदने का एक उत्तम समय हो सकता है।

निष्कर्ष

मार्केट एनालिसिस दो प्रकार की होती है – टेक्निकल और फंडामेंटल। टेक्निकल एनालिसिस चार्ट्स और इंडिकेटर्स पर आधारित है जबकि फंडामेंटल एनालिसिस कंपनी के बिजनेस और खबरों पर।

शुरुआत में एक ही एनालिसिस सीखें और उसमें महारत हासिल करें। फिर दूसरी सीखें। अनुभव बढ़ने के साथ दोनों को मिलाकर इस्तेमाल करें।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी और मनी मैनेजमेंट – आसान भाषा में समझें

ट्रेडिंग साइकोलॉजी , दिमाग को काबू में करना

ट्रेडिंग में सबसे बड़ी लड़ाई मार्केट से नहीं, अपने दिमाग से होती है।
एक सफल ट्रेडर वही होता है जो डर और लालच — इन दो भावनाओं पर नियंत्रण रखना जानता है।

डर, हर नए ट्रेडर का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह दो तरह से नुकसान पहुंचाता है
पहला, जब शेयर सस्ता होता है तो हम खरीदने से डरते हैं कि “कहीं यह और नीचे न चला जाए।”
दूसरा, जब शेयर गिर रहा होता है तो बेचने से डरते हैं कि “अगर अब बेच दिया और यह ऊपर चला गया तो?”
डर हमें निष्क्रिय बना देता है और मौके हाथ से निकल जाते हैं।
इससे बचने का तरीका है , हर ट्रेड से पहले एक स्पष्ट प्लान बनाना, तय करना कि कहाँ एंट्री, कहाँ एक्ज़िट, और कितना स्टॉप लॉस रखना है।
छोटी रकम से शुरुआत करें और जैसे-जैसे ज्ञान बढ़े, आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा।

दूसरी ओर, लालच एक छिपा हुआ लेकिन खतरनाक दुश्मन है।
यह तब नुकसान कराता है जब हम ज्यादा मुनाफे की चाह में शेयर पकड़े रहते हैं, सोचते हैं “थोड़ा और बढ़ेगा।”
या फिर जल्दी अमीर बनने की चाह में सारा पैसा एक ही ट्रेड में लगा देते हैं।
लालच को काबू में रखने का सबसे अच्छा उपाय है , अपने लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करना, यानी पहले से तय करें कि कितने मुनाफे पर संतुष्ट रहना है।
थोड़ा मुनाफा भी अच्छा मुनाफा है, क्योंकि बाजार कल भी खुलेगा, और मौके हर दिन आते रहेंगे।

आख़िर में याद रखें ,

💬 “ट्रेडिंग में जीतने वाला वह नहीं जो सबसे तेज़ सोचता है, बल्कि वह है जो अपने डर और लालच पर जीत हासिल करता है।”

असली कहानी: जिसे पढ़कर आप पूरी तरह समझ पाएंगे

राहुल ने TCS का शेयर 3200 रुपये में खरीदा। उसने तय किया कि 3300 रुपये पर बेच देगा। जब शेयर 3300 रुपये पहुंचा तो लालच आया – “शायद और बढ़ेगा”। शेयर वापस 3100 रुपये आ गया। राहुल को नुकसान हुआ।

⚖️ अनुशासन और धैर्य का महत्व

ट्रेडिंग में सफलता केवल ज्ञान या रणनीति से नहीं मिलती , अनुशासन और धैर्य ही वह दो स्तंभ हैं जिन पर एक सफल ट्रेडर की नींव टिकती है।

अनुशासन का मतलब है , अपने बनाए हुए नियमों पर अडिग रहना, चाहे बाजार कितना भी उतार-चढ़ाव वाला क्यों न हो। बिना अनुशासन के ट्रेडिंग, दरअसल एक जुआ बन जाती है। भावनाएँ हमें गलत फैसले लेने पर मजबूर करती हैं, लेकिन अनुशासन हमें सही रास्ते पर बनाए रखता है। इसे मजबूत करने के लिए रोज का ट्रेडिंग रूटीन बनाएं, अपने नियमों को लिखकर दीवार पर लगाएं, और एक ट्रेडिंग डायरी रखें जिसमें हर ट्रेड का अनुभव नोट करें। यह आदत धीरे-धीरे आपके मन को स्थिर और निर्णयों को मजबूत बनाती है।

धैर्य का मतलब है , सही मौके का इंतजार करना। बाजार हर दिन अवसर नहीं देता, लेकिन जो व्यक्ति इंतजार करना जानता है, वही लंबे समय में विजेता बनता है। जबरदस्ती या “कुछ तो ट्रेड करना है” जैसी सोच नुकसान की जड़ होती है। इसलिए धैर्य विकसित करें , मौका तभी पकड़ें जब ट्रेंड साफ़ दिखे, और बाकी समय खुद को शिक्षित करें। बाजार बंद हो तो किताबें पढ़ें, चार्ट्स का अध्ययन करें या योग और ध्यान करें ताकि मन शांत रहे और निर्णय संतुलित हों।

सफल ट्रेडर नुकसान से नहीं डरता, वह नुकसान को स्वीकारना जानता है
हर नुकसान सीखने का मौका है , छोटा नुकसान लेना बड़े नुकसान से बचाता है। पीछे मुड़कर पछताने के बजाय आगे बढ़ें और सोचें कि अगली बार क्या बेहतर किया जा सकता है।

इसके साथ ही, ओवरट्रेडिंग से बचना बेहद जरूरी है। बार-बार ट्रेड करना , चाहे पैसे की जल्दी में हो, बोरियत में या नुकसान की भरपाई की कोशिश में , पूंजी को खत्म करने का सबसे तेज़ तरीका है। रोज 2-3 से ज़्यादा ट्रेड न करें, दिन में सीमित समय तक ही मार्केट में सक्रिय रहें, और बीच-बीच में ब्रेक लेकर दिमाग को रीसेट करें।

याद रखिए

📘 “ट्रेडिंग में जीतने वाला वह नहीं होता जो सबसे ज़्यादा ट्रेड करता है,
बल्कि वह होता है जो कम ट्रेड करता है लेकिन हर बार सही ट्रेड करता है।

सफल ट्रेडर की सोच:

🧠 सफल ट्रेडर की सोच अलग होती है

सफल ट्रेडर मार्केट को नहीं, खुद को जीतना जानता है।
वह एक छात्र है — हर दिन कुछ नया सीखता है,
एक ईमानदार इंसान है — अपनी गलतियाँ स्वीकार करता है,
एक अनुशासित खिलाड़ी है — नियमों पर चलता है,
एक धैर्यवान साधक है — सही मौके का इंतज़ार करता है,
और सबसे बढ़कर, वह विनम्र है — सफलता आने पर भी अहंकार नहीं करता।

💬 “मार्केट उन्हें हराता है जो इसे जीतने की कोशिश करते हैं,
और इनाम देता है उन्हें जो इसे समझने की कोशिश करते हैं।”

उदाहरण:

विकास एक सफल ट्रेडर है। वह रोज सुबह 1 घंटा बाजार का अध्ययन करता है। दिन में सिर्फ 2 ट्रेड करता है। नुकसान होने पर परेशान नहीं होता। हफ्ते के अंत में अपनी डायरी चेक करता है।

मनी मैनेजमेंट — पैसे को संभालना सीखें

ट्रेडिंग में मुनाफा कमाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है पैसे को संभालना, यानी मनी मैनेजमेंट।
सफल ट्रेडर वही होता है जो अपने पैसे को समझदारी से बांटता है और हर ट्रेड में जोखिम सीमित रखता है।

कैपिटल एलोकेशन (Capital Allocation) का मतलब है , अपनी कुल पूंजी को अलग-अलग हिस्सों में इस तरह बाँटना कि एक गलती पूरी पूंजी को खत्म न कर दे।
सबसे आम गलती है ,एक ही ट्रेड में सारा पैसा लगा देना या बिना प्लान के ट्रेड करना।
सही तरीका यह है कि एक ट्रेड में कुल पूंजी का 2% से अधिक कभी न लगाएं।
जैसे अगर आपके पास ₹1,00,000 हैं, तो किसी एक ट्रेड में ₹2,000 से ज्यादा निवेश न करें।
पूंजी को तीन हिस्सों में बाँटें ,
50% ट्रेडिंग के लिए, 30% बैकअप के लिए, और 20% अचानक आने वाले मौकों के लिए।
साथ ही, सारा पैसा एक ही शेयर में न लगाएँ 4 से 5 अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश करें ताकि जोखिम कम हो।

उदाहरण के तौर पर, रिया के पास ₹50,000 हैं। वह हर ट्रेड में ₹1,000 (2%) से अधिक नहीं लगाती, ₹25,000 ट्रेडिंग के लिए रखती है, ₹15,000 बैकअप के रूप में, और ₹10,000 अचानक आने वाले मौकों के लिए अलग रखती है। यह स्मार्ट मनी मैनेजमेंट की पहचान है।

इसी तरह, स्टॉप लॉस (Stop Loss) मनी मैनेजमेंट का सबसे जरूरी हिस्सा है। यह एक ऑटोमैटिक ऑर्डर होता है जो तय सीमा से ज्यादा नुकसान होने पर शेयर को खुद-ब-खुद बेच देता है।
स्टॉप लॉस जरूरी क्यों है? क्योंकि यह आपको बड़े नुकसान, भावनात्मक फैसलों और अनुशासन की कमी से बचाता है।
हर खरीद से पहले तय करें कि कितने नुकसान पर निकलना है, स्टॉप लॉस को सपोर्ट के ठीक नीचे लगाएं और एक बार लगाने के बाद उसे हिलाएं नहीं।

उदाहरण:

राज ने टाटा मोटर्स का शेयर 500 रुपये में खरीदा। उसने स्टॉप लॉस 480 रुपये पर लगाया। शेयर 480 रुपये तक गिरा तो अपने आप बिक गया। राज को सिर्फ 20 रुपये प्रति शेयर का नुकसान हुआ। बिना स्टॉप लॉस के शेयर 450 रुपये तक गिर सकता था।

रिस्क-टू-रिवार्ड रेश्यो — जीत का असली फॉर्मूला

ट्रेडिंग में जीतने वाले और हारने वाले के बीच का फर्क सिर्फ एक चीज़ तय करती है — रिस्क-टू-रिवार्ड रेश्यो।
इसका मतलब है, आप कितना नुकसान सहने को तैयार हैं और बदले में कितना मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं।
अगर आपका रेश्यो 1:2 है, तो हर ₹1 के नुकसान पर आप ₹2 की उम्मीद रखते हैं, और 1:3 में ₹1 का रिस्क लेकर ₹3 का टारगेट।
यही फॉर्मूला लंबे समय में आपको फायदे में रखता है , क्योंकि छोटे नुकसान भी बड़े मुनाफ़े के आगे फीके पड़ जाते हैं।
बस नियम सीधा है:
पहले तय करें कि कितना नुकसान उठाना है, फिर उसका दोगुना या तिगुना टारगेट सेट करें,
और फिर , प्लान पर अडिग रहें, भावनाओं पर नहीं।

💡 “ट्रेडिंग में जीत वही पाता है जो हर सौदे से पहले हार का हिसाब रखता है।”

उदाहरण:

सोनम ने इन्फोसिस का शेयर 1500 रुपये में खरीदा। उसने:

स्टॉप लॉस: 1450 रुपये (50 रुपये नुकसान का रिस्क) टारगेट: 1600 रुपये (100 रुपये मुनाफा) ,रिस्क-टू-रिवार्ड: 1:2

दैनिक/साप्ताहिक नुकसान सीमा सेट करना

यह तय करना कि एक दिन या हफ्ते में कितना नुकसान उठा सकते हैं।

क्यों जरूरी है: बड़े नुकसान से बचाता है इमोशनल ट्रेडिंग रोकता है लाइफबलेंस बनाए रखता है

कैसे सेट करें: दैनिक सीमा: कुल पूंजी का 2% से ज्यादा नहीं, साप्ताहिक सीमा: कुल पूंजी का 5% से ज्यादा नहीं

सीमा पहुंचने पर ट्रेडिंग बंद करें

उदाहरण:अमित के पास 2,00,000 रुपये हैं। उसने: दैनिक नुकसान सीमा: 4,000 रुपये (2%), साप्ताहिक नुकसान सीमा: 10,000 रुपये (5%)

एक दिन उसे 4,000 रुपये का नुकसान हुआ। उसने तुरंत ट्रेडिंग बंद कर दी। अगले दिन नए सिरे से शुरू किया।

निष्कर्ष

ट्रेडिंग साइकोलॉजी और मनी मैनेजमेंट ट्रेडिंग के दो सबसे महत्वपूर्ण हिस्से हैं। अगर आप टेक्निकल एनालिसिस में महारत हासिल कर लें लेकिन अपने दिमाग और पैसे को न संभाल पाएं तो सफल नहीं हो सकते।

याद रखें:

दिमाग पर काबू रखें – डर और लालच से दूर रहेंअनुशासन में रहें – अपने नियमों पर टिके रहें, पैसे को समझदारी से संभालें – स्टॉप लॉस और पूंजी प्रबंधन जरूरी है ,नुकसान को स्वीकारें – यह ट्रेडिंग का हिस्सा है

सफल ट्रेडर बनने के लिए:रोज अभ्यास करें,अपनी गलतियों से सीखें, धैर्य रखें, कभी हार न मानें

शुभकामनाएं!

ट्रेडिंग की पूरी गाइड – आसान भाषा में समझें

Tagline :ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी – सफलता का रास्ता

ब्रेकआउट ट्रेडिंग

ब्रेकआउट ट्रेडिंग में हम उस समय ट्रेड करते हैं जब शेयर की कीमत किसी रुकावट को तोड़कर बाहर आती है। जैसे कोई नदी जब बांध तोड़कर बहने लगे। ,कैसे काम करती है:

जब वह इस रेंज को तोड़कर ऊपर या नीचे आता है

– हम उसी दिशा में ट्रेड लेते हैं

**उदाहरण:**

रिलायंस का शेयर 2400-2500 रुपये के बीच कई दिनों से चल रहा था। एक दिन वह 2520 रुपये पर पहुंच गया। यह ब्रेकआउट था। हमने 2520 रुपये पर खरीदारी की और 2600 रुपये पर बेच दिया।

**सफलता के टिप्स:

वॉल्यूम ज्यादा होना चाहिए,कम से कम 1% ब्रेकआउट हो, बाजार का ट्रेंड सही हो

रिवर्सल ट्रेडिंग

रिवर्सल ट्रेडिंग में हम उस समय ट्रेड करते हैं जब शेयर की दिशा बदलने वाली होती है। जैसे कोई गाड़ी जब यू-टर्न लेती है।

**कैसे काम करती है: शेयर लंबे समय से ऊपर या नीचे जा रहा होता है, जब वह रुकने का संकेत देता है, हम उलटी दिशा में ट्रेड लेते हैं

उदाहरण:

TCS का शेयर 3200 रुपये से 3000 रुपये तक गिरा। 3000 रुपये पर उसने सपोर्ट बनाया और वापस ऊपर आना शुरू किया। हमने 3020 रुपये पर खरीदारी की और 3150 रुपये पर बेच दिया।

सफलता के टिप्स: RSI 30 से नीचे या 70 से ऊपर हो, प्राइस एक्शन कन्फर्मेशन दे, वॉल्यूम बढ़ रहा हो

मूविंग एवरेज क्रॉसओवर

यह स्ट्रैटेजी दो मूविंग एवरेज के क्रॉस करने पर काम करती है। जैसे दो सड़कों का क्रॉसिंग।

कैसे काम करती है: हम 20 दिन और 50 दिन के मूविंग एवरेज को देखते हैं, जब छोटा MA बड़े MA को ऊपर से काटे = खरीदें, जब छोटा MA बड़े MA को नीचे से काटे = बेचें

उदाहरण:

HDFC बैंक के शेयर में 20 दिन का MA 1400 रुपये और 50 दिन का MA 1380 रुपये था। जब 20 दिन का MA ने 50 दिन के MA को ऊपर से काटा, हमने खरीदारी की। शेयर 1450 रुपये तक गया।

सफलता के टिप्स: लंबे टाइमफ्रेम पर काम करें, क्रॉसओवर के बाद कन्फर्मेशन लें, स्टॉप लॉस जरूर लगाएं

प्राइस एक्शन ट्रेडिंग

प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में हम सिर्फ प्राइस चार्ट देखकर ट्रेड लेते हैं। बिना किसी इंडिकेटर के।

कैसे काम करती है: सपोर्ट और रेजिस्टेंस को पहचानें, कैंडलस्टिक पैटर्न देखें, ट्रेंड की दिशा में ट्रेड लें

**उदाहरण:**

इन्फोसिस का शेयर 1500 रुपये के सपोर्ट पर पहुंचा। वहां पर उसने हथौड़े जैसी कैंडल बनाई। यह खरीदारी का संकेत था। हमने 1505 रुपये पर खरीदारी की और 1580 रुपये पर बेच दिया।

सफलता के टिप्स: मार्केट की भाषा समझें, ज्यादा इंडिकेटर न देखें, धैर्य रखें

वॉल्यूम-बेस्ड स्ट्रैटेजी

इस स्ट्रैटेजी में हम वॉल्यूम को देखकर ट्रेड लेते हैं। वॉल्यूम बताता है कि शेयर में कितनी दिलचस्पी है।

कैसे काम करती है: प्राइस बढ़े और वॉल्यूम भी बढ़े = असली तेजी

प्राइस बढ़े लेकिन वॉल्यूम कम हो = नकली तेजी *वॉल्यूम अचानक बढ़े = कोई बड़ी खबर आने वाली

उदाहरण:

टाटा मोटर्स के शेयर में सामान्य दिन 10 लाख शेयरों का वॉल्यूम होता था। एक दिन अचानक 50 लाख शेयरों का वॉल्यूम हुआ। हमने खरीदारी की और अगले दिन 5% का फायदा हुआ।

सफलता के टिप्स:एवरेज वॉल्यूम से तुलना करें, प्राइस के साथ वॉल्यूम देखें, ब्रेकआउट के साथ वॉल्यूम जरूर देखें

न्यूज-बेस्ड या इवेंट-बेस्ड ट्रेडिंग: इस स्ट्रैटेजी में हम खबरों और इवेंट्स के आधार पर ट्रेड लेते हैं।

कैसे काम करती है:कंपनी के नतीजे, बोनस/स्प्लिट की खबर, मर्जर/अक्विजिशन, सरकारी नीतियां

उदाहरण:

जब RBI ने ब्याज दरें कम कीं, बैंकिंग शेयरों में तेजी आई। हमने HDFC बैंक और SBI में खरीदारी की और 10% का फायदा कमाया।

सफलता के टिप्स:खबरों पर नजर रखें, तुरंत रिएक्ट करें, स्टॉप लॉस जरूर लगाएं

इंडिकेटर्स और टूल्स – ट्रेडिंग के सहायक RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स)

RSI बताता है कि शेयर ज्यादा खरीदा जा रहा है या ज्यादा बेचा जा रहा है।

कैसे पढ़ें:

70 से ऊपर: ज्यादा खरीदा हुआ (बेचने का संकेत), 30 से नीचे: ज्यादा बेचा हुआ (खरीदने का संकेत), 50 के आसपास: सामान्य

उदाहरण:

TCS का RSI 28 पर पहुंच गया। यह संकेत था कि शेयर ज्यादा बेचा जा चुका है। हमने खरीदारी की और अगले हफ्ते 8% का फायदा हुआ।

MACD (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस)

MACD दो लाइनों से बनता है और ट्रेंड बदलने का संकेत देता है।

कैसे पढ़ें:

MACD लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर काटे = खरीदें, MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे काटे = बेचें

उदाहरण:

रिलायंस के MACD ने सिग्नल लाइन को ऊपर से काटा। हमने खरीदारी की और 15 दिन में 12% का फायदा हुआ।

ADX (एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स): ADX बताता है कि ट्रेंड कितना मजबूत है।

कैसे पढ़ें:

ADX 25 से ऊपर: मजबूत ट्रेंड, ADX 20 से नीचे: कमजोर ट्रेंड

+DI -DI से ऊपर: अपट्रेंड

-DI +DI से ऊपर: डाउनट्रेंड

EMA और SMA

EMA (एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज) और SMA (सिंपल मूविंग एवरेज) शेयर की औसत कीमत बताते हैं।

अंतर:

EMA: नई कीमतों को ज्यादा महत्व देता है, SMA: सभी कीमतों को बराबर महत्व देता है

उदाहरण:

20 दिन का EMA 50 दिन के EMA से ऊपर जाए = खरीदने का संकेत

फिबोनाची रिट्रेसमेंट

यह टूल बताता है कि शेयर कितना रिट्रेस कर सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें: पिछले स्विंग हाई और स्विंग लो को मार्क करें, 40%, 50%, 60% लेवल देखें, इन लेवल पर सपोर्ट/रजिस्टेंस की उम्मीद करें

उदाहरण:

टाटा मोटर्स 500 रुपये से 400 रुपये तक गिरा। 61.8% रिट्रेसमेंट 432 रुपये पर था। शेयर वहां से वापस ऊपर आया।

वॉल्यूम एनालिसिस

वॉल्यूम एनालिसिस से हम खरीदारी-बिकवाली का दबाव समझते हैं।

क्या देखें: वॉल्यूम बढ़ रहा है या घट रहा है, प्राइस के साथ वॉल्यूम का मेल, अचानक वॉल्यूम बढ़ना

चार्टिंग प्लेटफॉर्म

ट्रेडिंगव्यू: सबसे अच्छा चार्टिंग प्लेटफॉर्म, कई इंडिकेटर और टूल्स, मोबाइल और कंप्यूटर दोनों पर उपलब्ध है

जेरोधा काइट:

बैकटेस्टिंग और जर्नलिंग – सफलता की कुंजी

बैकटेस्टिंग

बैकटेस्टिंग में हम अपनी स्ट्रैटेजी को पुराने डेटा पर टेस्ट करते हैं।

क्यों जरूरी है: स्ट्रैटेजी काम करती है या नहीं, रिस्क और रिवार्ड पता चलता है, कॉन्फिडेंस बढ़ता है

कैसे करें: 1-2 साल का डेटा लें, अपनी स्ट्रैटेजी के नियम लिखें, हर ट्रेड को चेक करें, रिजल्ट नोट करें.

उदाहरण:

रिया ने ब्रेकआउट स्ट्रैटेजी को 2022 के डेटा पर टेस्ट किया। उसे पता चला कि 60% ट्रेड प्रॉफिटेबल थे। अब वह आत्मविश्वास से ट्रेड कर सकती है।

ट्रेड जर्नलिंग

ट्रेड जर्नलिंग में हम हर ट्रेड को डिटेल में नोट करते हैं।

क्या नोट करें:एंट्री और एग्जिट प्राइस, प्रॉफिट/लॉस, स्टॉप लॉस और टारगेट, ट्रेड लेने का कारण, गलतियां को नोट करना ना भूले

साप्ताहिक रिव्यू

हर हफ्ते अपने प्रदर्शन की समीक्षा करें।

क्या चेक करें: कुल प्रॉफिट/लॉस, विन रेट (कितने % ट्रेड प्रॉफिटेबल), एवरेज प्रॉफिट और लॉस, गलतियां दोहराईं या नहीं

ट्रेडिंग सिस्टम बनाना – अपना रास्ता बनाना

एंट्री रूल्स: एंट्री रूल्स तय करें कि कब खरीदेंगे या बेचेंगे।

उदाहरण एंट्री रूल्स: 20 EMA > 50 EMA हो, RSI 40-60 के बीच हो, वॉल्यूम एवरेज से ज्यादा हो, प्राइस सपोर्ट पर हो

एक्जिट रूल्स: एक्जिट रूल्स तय करें कि कब बेचेंगे।

उदाहरण एक्जिट रूल्स: टारगेट प्राइस पर बेचें, स्टॉप लॉस हिट होने पर बेचें, टाइम बेस्ड एक्जिट (2 दिन बाद हो तो उसे पर बेचे)

रिस्क रूल्स

रिस्क रूल्स तय करें कि कितना रिस्क लेंगे।

उदाहरण रिस्क रूल्स:एक ट्रेड में 2% से ज्यादा रिस्क नहीं, दिन में 5% से ज्यादा लॉस नहीं, रिस्क-रिवार्ड 1:2 से कम नहीं होना चाहिए जिससे कि आप कम लॉस कर पाए

टाइमफ्रेम और मार्केट सेलेक्शन

टाइमफ्रेम: इंट्राडे: 5 मिनट, 15 मिनट, स्विंग: दैनिक-साप्ताहिक, पोजिशनल: साप्ताहिक, मासिक

मार्केट सेलेक्शन: कौन से शेयर ट्रेड करेंगे, कौन से सेक्टर पर फोकस करेंगे, किस समय ट्रेड करेंगे

रिस्क और साइजिंग – पैसे को सुरक्षित रखना

कैपिटल के हिसाब से लॉट साइज

लॉट साइज मतलब एक ट्रेड में कितने शेयर खरीदेंगे।

फॉर्मूला:

लॉट साइज = (कैपिटल × रिस्क %) ÷ (एंट्री प्राइस – स्टॉप लॉस)

उदाहरण:कैपिटल: 1,00,000 रुपये, रिस्क: 2% = 2,000 रुपये, एंट्री: 100 रुपये, स्टॉप लॉस: 95 रुपये,

लॉट साइज = (1,00,000 × 0.02) ÷ (100 – 95) = 400 शेयर इस तरह से आप डिसाइड कर सकते हैं

लीवरेज, ड्रॉडाउन और मार्केट बिहेवियर की समझ( लीवरेज को समझदारी से यूज़ करना)

लीवरेज का मतलब है , ब्रोकर से उधार पैसा लेकर बड़ा ट्रेड करना। इससे कम पूंजी में बड़े सौदे किए जा सकते हैं और मुनाफ़ा बढ़ाने का मौका मिलता है, लेकिन इसके साथ नुकसान का रिस्क भी कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा कम लीवरेज का उपयोग करें, सही रिस्क मैनेजमेंट अपनाएँ और अनुभव बढ़ने के बाद ही लीवरेज का सहारा लें।

ड्रॉडाउन का मतलब है , आपके पोर्टफोलियो की ऊँचाई (पीक) से गिरावट (वैली) तक का नुकसान। इसे कम करने के लिए स्टॉप लॉस लगाएँ, निवेश को अलग-अलग सेक्टरों में बाँटकर डायवर्सिफाई करें और हमेशा अपनी रणनीति में रिस्क मैनेजमेंट को शामिल रखें।

मार्केट पर इकोनॉमिक डेटा और न्यूज़ का सीधा असर होता है। अगर GDP बढ़े, तो बाजार ऊपर जाता है; महंगाई या बेरोजगारी बढ़े तो बाजार नीचे आता है। इसी तरह, RBI की नीतियाँ भी अहम भूमिका निभाती हैं , ब्याज दरें या CRR/SLR बढ़ने पर बाजार कमजोर होता है, जबकि इनके घटने पर बाजार में तेजी आती है।

बजट के समय भी बाजार की दिशा बदल सकती है। अच्छा बजट, जिसमें टैक्स राहत और इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च शामिल हो, बाजार को ऊपर ले जाता है; वहीं कठोर बजट, जिसमें टैक्स बढ़े और राहत न मिले, बाजार को नीचे खींच देता है।

ग्लोबल मार्केट्स का भी भारतीय शेयर बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अमेरिकी बाजारों जैसे डॉव जोन्स और NASDAQ में गिरावट आने पर भारतीय बाजार भी नीचे जाता है, जबकि चीनी बाजार की स्थिति विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रभावित करती है। इसके अलावा तेल की कीमतें भी अहम हैं , तेल महँगा हो तो बाजार नीचे, और सस्ता हो तो बाजार ऊपर जाता है।

ट्रेडिंग में टैक्स और रिकॉर्ड्स का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। इंट्राडे ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम माना जाता है, जिस पर सामान्य आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं F&O ट्रेडिंग को भी बिजनेस इनकम या स्पेक्युलेटिव इनकम के रूप में गिना जाता है; अगर टर्नओवर ₹2 करोड़ से अधिक है तो ऑडिट आवश्यक होता है, और लॉस को 8 साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है।

हर ट्रेडर को अपने बुक्स ऑफ अकाउंट्स सही रखना चाहिए , जिसमें सभी ट्रेड की डिटेल, बैंक स्टेटमेंट, ब्रोकरेज रिपोर्ट और Profit & Loss स्टेटमेंट शामिल हों। यह न केवल टैक्स फाइलिंग के लिए जरूरी है, बल्कि आपकी परफॉर्मेंस ट्रैकिंग और गलतियों के सुधार के लिए भी अहम है।

ट्रेडिंग में आम गलतियाँ , और उनसे बचाव के तरीके

ट्रेडिंग में सफलता सिर्फ ज्ञान से नहीं, बल्कि अनुशासन और नियंत्रण से आती है। बहुत से ट्रेडर्स मार्केट को समझने के बावजूद छोटी-छोटी गलतियों के कारण नुकसान उठा लेते हैं। चलिए जानते हैं वो आम गलतियाँ जो हर ट्रेडर को पहचाननी और उनसे बचना चाहिए।

सबसे पहली गलती है ओवरट्रेडिंग, यानी जरूरत से ज़्यादा ट्रेड करना। कई बार ट्रेडर बिना सोचे हर छोटे-मोटे मूवमेंट पर ट्रेड लेने लगते हैं। याद रखें , हर समय ट्रेड करना जरूरी नहीं होता। दिन में 2-3 से ज्यादा ट्रेड न करें और सिर्फ सही मौके का इंतजार करें। अगर आप सिर्फ बोरियत में ट्रेड कर रहे हैं, तो यह नुकसान का आम कारण बनता है।

दूसरी बड़ी गलती है बिना प्लान के एंट्री लेना। बिना सोच-विचार के मार्केट में कूदना किसी जुए की तरह है। हर ट्रेड से पहले एक ठोस प्लान बनाएं , कहाँ एंट्री लेनी है, कहाँ निकलना है, और स्टॉप लॉस कितना रखना है। एक बार प्लान बना लें तो उस पर अडिग रहें, क्योंकि भावनाओं के कारण योजना से हटना नुकसान को दावत देना है।

तीसरी गलती है लॉस में औसत करना, यानी नुकसान होते हुए और शेयर खरीदना। कई नए ट्रेडर सोचते हैं कि औसत घटाने से नुकसान कम होगा, लेकिन असल में यह पूंजी डुबो सकता है। यह एक भावनात्मक फैसला होता है जो ट्रेडिंग नियमों के खिलाफ है। इसका सबसे अच्छा उपाय है , हमेशा स्टॉप लॉस का उपयोग करें, नुकसान स्वीकार करें और नए मौके पर ध्यान दें।

एक और आम जाल है टिप्स या रुमर्स पर ट्रेड करना। बिना रिसर्च के किसी की बातों पर भरोसा करना मार्केट में जुआ खेलने जैसा है। टिप्स अक्सर अधूरी या देर से आती हैं, जिससे नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा खुद रिसर्च करें, विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लें और हर खबर को वेरिफाई करें।

सबसे खतरनाक गलती है इमोशन्स से ट्रेड करना। डर, लालच या उत्साह में लिए गए फैसले हमेशा गलत दिशा में जाते हैं। जब ट्रेडिंग भावनाओं से चलती है, तो अनुशासन टूट जाता है और नुकसान बढ़ता है। इसलिए हर ट्रेडर को एक ट्रेडिंग प्लान बनाना चाहिए, नियमों का पालन करना चाहिए और अगर मानसिक दबाव हो तो थोड़ी देर ब्रेक लेकर मेडिटेशन करना चाहिए।

ट्रेडिंग में जीतने वाले और हारने वाले के बीच का फर्क सिर्फ इतना होता है ,
एक अपने भावनाओं पर नियंत्रण रखता है, दूसरा भावनाओं के नियंत्रण में रहता है।

निष्कर्ष (Conclusion): ट्रेडिंग में आम गलतियाँ , और उनसे बचाव के तरीके

ट्रेडिंग में सफलता पाने का असली रहस्य अनुशासन, धैर्य और सीखने की निरंतरता है।
मार्केट में हर दिन नए मौके आते हैं, लेकिन सिर्फ वही ट्रेडर लंबे समय तक टिकते हैं जो अपनी गलतियों से सीखते हैं और उन्हें दोहराने से बचते हैं।

ओवरट्रेडिंग, बिना प्लान के एंट्री, लॉस में औसत करना, रुमर्स पर ट्रेड करना, और भावनाओं में बहकर फैसले लेना , ये सभी गलतियाँ धीरे-धीरे पूंजी को खत्म कर देती हैं।
इसलिए एक समझदार ट्रेडर वही है जो हर ट्रेड से पहले सोचे, प्लान बनाए, स्टॉप लॉस लगाए और शांत मन से निर्णय ले।

याद रखिए :—

मार्केट को हराना ज़रूरी नहीं, उसे समझना ज़रूरी है।
जब आप मार्केट को समझने लगते हैं, तब मुनाफ़ा अपने आप आपके साथ चलने लगता है। 💹

राजू और चाचा जी की कैंडलस्टिक कहानी

एक दिन राजू अपने चाचा जी के पास आया।
बोला “चाचा जी, ये जो चार्ट पर मोमबत्तियाँ बनी रहती हैं, ये असली मोमबत्ती हैं क्या?”

चाचा जी हँसने लगे ,
“नहीं बेटा, ये कैंडलस्टिक पैटर्न्स हैं जो बताते हैं कि बाजार में कौन जीत रहा है , खरीदार (Buyer) या बेचने वाला (Seller)।”

राजू बोला “तो ये मोमबत्ती की तरह जलती-बुझती हैं क्या?”
“बिलकुल!” चाचा जी बोले ,
“जब खरीदार ज्यादा हों तो हरी कैंडल जलती है, और जब बेचने वाले ज्यादा हों तो लाल कैंडल जलती है।
अब मैं तुझे पाँच जादुई कैंडल्स की कहानी सुनाता हूँ, जो हर ट्रेडर को पहचाननी चाहिए।”

Bullish Engulfing ‘शेर की वापसी’

चाचा जी बोले
“एक दिन बाजार में मंदी (लाल कैंडल) का राक्षस राज कर रहा था।
लेकिन अगले दिन एक हरी कैंडल आई जो इतनी बड़ी थी कि उसने पूरी लाल कैंडल को निगल लिया!”

राजू की आँखें खुली रह गईं
“मतलब हरी ने लाल को खा लिया?”

“हाँ बेटा,” चाचा जी बोले,
“वही होता है Bullish Engulfing , इसका मतलब है खरीदारों ने पूरा कंट्रोल ले लिया है।
अब कीमत ऊपर जाएगी।”

याद रखने का तरीका:
जब “हरी” लाल को खा जाए = बाजार ऊपर जाएगा।
(सोचो जैसे हरा शेर लाल राक्षस को खा गया 🦁)

Bearish Engulfing , ‘लाल दानव की वापसी’

अगले दिन चाचा जी बोले
“अब मान लो हरी कैंडल खुश होकर ऊपर जा रही थी।
पर तभी एक लाल दानव 👹आया जिसने उसे पूरा निगल लिया!”

राजू डर गया , “मतलब अब गिरावट आएगी?”

“बिलकुल!” , चाचा जी बोले
“इसे कहते हैं Bearish Engulfing
जब लाल कैंडल हरी को पूरी तरह ढँक लेती है, तो मतलब बेचने वालों ने जीत ली।
अब कीमत नीचे जाएगी।”

याद रखने का तरीका:
जब “लाल दानव” हरी को खा जाए = मार्केट नीचे जाएगा।
(लाल जीत गया, मतलब मंदी जीत गई )

Hammer , ‘बाजार का हथौड़ा’

राजू बोला , “अब तीसरी कैंडल कौन सी है चाचा जी?”
चाचा जी बोले
“ये है Hammer, यानी ‘हथौड़ा’।

सोचो , बाजार नीचे जा रहा था, पर अचानक एक बड़ा खरीददार आया और उसने नीचे से हथौड़ा मारकर कीमत ऊपर धकेल दी!”

राजू हँसते हुए बोला , “मतलब नीचे से ठोंककर ऊपर भेज दिया?”

“हाँ!” , चाचा जी मुस्कराए
“अगर यह पैटर्न सपोर्ट लेवल पर दिखे, तो समझो अब नीचे से पलटाव होने वाला है।”

याद रखने का तरीका:
नीचे दिखे Hammer = बाजार पलटने वाला है।
(मतलब किसी ने नीचे से ठोंका और कीमत ऊपर उछली )

Shooting Star , ‘आसमान से गिरता तारा’

चाचा जी बोले
“अब आता है 🌠Shooting Star, यानी आसमान से गिरता तारा।

जब शेयर बहुत ऊपर चला जाता है, लेकिन फिर बेचने वाले आकर उसे नीचे गिरा देते हैं ,
तो ऊपर छोटी बॉडी और नीचे लंबी लाइन वाली लाल या हरी कैंडल बनती है।”

राजू बोला , “मतलब ऊपर जाकर गिरा हुआ तारा!”
“हाँ बेटा, यही तो संकेत है कि अब गिरावट शुरू होने वाली है।”

याद रखने का तरीका:
ऊपर आसमान में दिखे Shooting Star = नीचे गिरावट आएगी।
आसमान से गिरा मतलब कीमत भी गिरेगी 🌠

Morning Star और Evening Star , ‘सूरज और चाँद की कहानी’

चाचा जी बोले
“अब आती है सबसे सुंदर कहानी
Morning Star 🌅और Evening Star की।”

“Morning Star” तब बनती है जब पूरी रात (गिरावट) के बाद सुबह (तेजी) आती है।
तीन कैंडल्स बनती हैं
पहली लाल (गिरावट), बीच में छोटी (Doji या Spinning Top , सोचने का समय),
और तीसरी बड़ी हरी (नया सूरज)।

“Evening Star” इसका उल्टा होता है
पहली हरी (तेजी), बीच में छोटी (Doji),
और फिर लाल (शाम की मंदी)।

राजू बोला , तो Morning Star मतलब बाजार उठेगा और Evening Star मतलब गिरेगा?”
“बिलकुल सही!” चाचा जी बोले, “तू अब असली चार्ट-पंडित बन गया!” 😄

राजू अब मुस्करा रहा था।
वह बोला
“चाचा जी, अब जब भी मुझे चार्ट पर मोमबत्तियाँ दिखेंगी,
तो मैं समझ जाऊँगा कौन जीत रहा है
हरा शेर 🦁 या लाल दानव 👹।”

चाचा जी बोले
“बस यही तो असली ट्रेडर की पहचान है
चार्ट पढ़ना, कहानी समझना, और सही समय पर फैसला लेना!”

याद रखने का तरीका:
Morning Star = सूरज उगता है = बाजार ऊपर जाता है ☀️
Evening Star = सूरज ढलता है = बाजार नीचे जाता है 🌇

सबसे अधिक उपयोग होने वाले कैंडलस्टिक पैटर्न

Kids Candlestick Mini Kit – White BG

महत्वपूर्ण कैंडलस्टिक पैटर्न

Bullish Bearish
Bullish Engulfing
जैसे हरा हीरो, लाल को ढँक ले — नीचे से ताकत आई, अब ऊपर जाने का मौका।
Bearish Engulfing
लाल दानव, हरे को ढँक ले — ऊपर से दबाव आया, नीचे जाना शुरू।
Hammer (हथौड़ा)
नीचे से किसी ने ‘ठक!’ करके उठाया — सपोर्ट पर पलटाव, ऊपर जाने का संकेत।
Shooting Star
ऊपर चमका और फिर गिरा — रेजिस्टेंस के पास सतर्क रहें, नीचे मुड़ सकता है।
Morning Star
रात के बाद सुबह — पहले गिरावट, थोड़ी रुकावट, फिर हरा सूरज; ऊपर की शुरुआत।
Evening Star
दिन ढला — पहले तेजी, थोड़ी रुकावट, फिर लाल शाम; नीचे की शुरुआत।

Bonus: शॉर्ट प्रैक्टिकल नोट्स

  • Doji + Hammer = बाजार सोच में, फिर पलट सकता है।
  • Engulfing = हरा या लाल साफ़ जीत रहा है।
  • Three Soldiers / Three Crows = बहुत बड़ा मूव शुरू।
  • Shooting Star + High Volume = पक्का रिवर्सल।
  • Morning / Evening Star = Weekly चार्ट पर सबसे भरोसेमंद।

राजू और चाचा जी की दूसरी कहानी —‘कैंडल्स का युद्ध’

एक दिन सुबह-सुबह राजू दौड़ता हुआ आया ,
“चाचा जी! कल तो बाजार ऊपर जा रहा था, आज रुक गया है! सब अजीब-अजीब मोमबत्तियाँ बन रही हैं।”

चाचा जी मुस्कराए
“अरे बेटा, आज कैंडल्स सोच में हैं।
कभी-कभी बाजार भी इंसान की तरह सोच में पड़ जाता है , कि अब ऊपर जाऊँ या नीचे गिरूँ!”

Doji और Hammer , ‘सोच में डूबा बाजार’

चाचा जी बोले ,
“देख बेटा, यह जो एक पतली-सी कैंडल दिख रही है, जिसका सिर और पैर बराबर हैं ,
इसे कहते हैं Doji

यह तब बनती है जब खरीदार और बेचने वाले दोनों बराबर ताकतवर हों।
जैसे दो पहलवान रस्साकशी में एक-दूसरे को खींच रहे हों लेकिन कोई गिर नहीं रहा।”

राजू बोला “तो बाजार बीच में फँस गया?”
“हाँ! और अगर उसके पास में Hammer भी दिखे ,
मतलब नीचे किसी ने ‘ठक!’ करके मार दी , तो समझो अब सोच खत्म, पलटाव शुरू।”

कहानी से याद रखो:
Doji = बाजार सोच में।
Hammer = नीचे से ठक कर उठाने वाला।
दोनों मिल जाएँ = सोच के बाद उछाल आने वाला!

Engulfing , ‘कौन जीता? लाल राक्षस या हरा शेर’

अगले दिन चाचा जी बोले
“अब यह देख , दो कैंडल एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।
पहले आई छोटी कैंडल, फिर आई एक बड़ी कैंडल जिसने पहली को पूरा ढँक लिया।”

राजू बोला , “मतलब एक ने दूसरे को खा लिया?”
“सही पकड़ा!” , चाचा जी बोले।
“अगर बड़ी कैंडल हरी है , मतलब Bullish Engulfing, हरे शेर ने लाल राक्षस को खा लिया , अब तेजी।
अगर बड़ी कैंडल लाल है , मतलब Bearish Engulfing, लाल राक्षस ने हरे को खा लिया , अब गिरावट।”

कहानी से याद रखो:
हरी ने लाल को खाया = ऊपर जाएगा।
लाल ने हरे को खाया = नीचे गिरेगा।

Three Soldiers / Three Crows , ‘तीन सिपाहियों की चाल’

चाचा जी बोले
“अब बाजार में सेना उतरती है।
कभी तीन बहादुर हरे सैनिक आते हैं, कभी तीन लाल कौए।”

राजू हँसते हुए बोला, “तीन सैनिक बनाम तीन कौए?”
“हाँ!” , चाचा जी बोले।

“जब लगातार तीन हरी कैंडल बनती हैं
मतलब Three White Soldiers, तीन हरे सैनिक आगे बढ़ रहे हैं,
बाजार ऊपर चढ़ने वाला है।”

“और जब लगातार तीन लाल कैंडल बनती हैं
मतलब Three Black Crows, तीन लाल कौए आकाश में मंडरा रहे हैं,
गिरावट आने वाली है।”

कहानी से याद रखो:
तीन हरे सैनिक = चढ़ाई शुरू 🪖
तीन लाल कौए = गिरावट शुरू 🐦

Shooting Star + Volume ज़्यादा , ‘आसमान से गिरता तारा’

राजू बोला
“चाचा जी, ये लंबी कैंडल जिसके ऊपर पतली सी पूँछ है , ये कौन है?”

“वो है Shooting Star, यानी आसमान से गिरता तारा!”
चाचा जी बोले।

“जब मार्केट बहुत ऊपर चला जाता है और फिर अचानक नीचे आ जाता है,
तो ये Shooting Star बनता है।
अगर उस समय Volume बहुत ज़्यादा हो,
तो समझो भीड़ ने ऊपर से बेचकर नीचे फेंक दिया!”

राजू बोला , “मतलब ऊपर का सफर खत्म!”
“बिलकुल! Shooting Star + High Volume = पक्का रिवर्सल।”

कहानी से याद रखो:
ऊपर चमका तारा + भीड़ ज़्यादा = तारा गिरने वाला 🌠📉

Morning Star / Evening Star , ‘सूरज और चाँद की बारी’

चाचा जी बोले
“अब आती है बाजार की सबसे खूबसूरत कहानी।
रात का अंधेरा और सुबह की किरण।”

“जब लगातार गिरावट के बाद तीन कैंडल बनें
पहली लाल, बीच की छोटी, और तीसरी बड़ी हरी
तो वह Morning Star है।
मतलब अंधेरा गया, सूरज उगा , बाजार ऊपर जाएगा।”

“और जब लगातार तेजी के बाद पहली हरी, बीच में छोटी, फिर लाल कैंडल बने ,
तो वह Evening Star है।
मतलब सूरज ढल गया, अब रात यानी गिरावट आने वाली।”

राजू मुस्कराया
“मतलब जब सूरज उगता है तो खरीदो, और जब ढलता है तो बेचो?”
“सही कहा बेटा!” चाचा जी बोले
“यही है ट्रेडर की असली घड़ी पहचानने की कला।”

कहानी से याद रखो:
Morning Star = सूरज उगता = तेजी ☀️
Evening Star = सूरज ढलता = मंदी 🌇

चाचा जी का राजू को आखिरी सबक

“देख बेटा,” चाचा जी बोले
“कैंडल्स सिर्फ रंग नहीं होतीं, ये बाजार की कहानी होती हैं।
कभी सोचने वाला Doji,
कभी ठक मारने वाला Hammer,
कभी जीत दिखाने वाला Engulfing,
कभी चलते सैनिक (Three Soldiers),
कभी गिरता तारा (Shooting Star),
और कभी उगता-सोता सूरज (Morning/Evening Star)।

इन सबको समझ ले,
तो चार्ट बोलने लगेगा
‘राजू बेटा, अब मैं ऊपर जा रहा हूँ!’
या ‘अब संभल जा, नीचे गिरने वाला हूँ!’”

राजू हँसकर बोला
“चाचा जी, अब जब भी मैं चार्ट देखूँगा,
तो मुझे हर कैंडल की आवाज़ सुनाई देगी!”

StockMitra – Important Candlestick Patterns (Red & Green)

महत्वपूर्ण कैंडलस्टिक पैटर्न Red = Bearish • Green = Bullish

सबसे अधिक उपयोग होने वाले पैटर्न —
बुलिश कैंडल बेयरिश कैंडल
Hammer (हथौड़ा)
डाउनट्रेंड के अंत में नीचे लंबी छाया, ऊपर छोटी बॉडी — पलटाव का संकेत।
Inverted Hammer
नीचे के ट्रेंड में ऊपर लंबी छाया — खरीददारों की एंट्री का शुरुआती संकेत।
Hanging Man
अपट्रेंड के अंत में Hammer जैसा दिखे — कमज़ोरी का संकेत।
Shooting Star
ऊपर लंबी छाया, नीचे छोटी बॉडी — रेजिस्टेंस से पलटाव, बेयरिश संकेत।
Doji
ओपन≈क्लोज — अनिर्णय। अगले बड़े मूव का संकेत।
Spinning Top
दोनों तरफ छाया और छोटी बॉडी — कन्फ्यूजन, ब्रेकआउट देखें।
Marubozu (Bullish)
बिना छाया की लंबी हरी कैंडल — खरीदार हावी।
Marubozu (Bearish)
बिना छाया की लंबी लाल कैंडल — बेचने वाले हावी।
Bullish Engulfing
हरी कैंडल पिछली लाल को ढँक ले — पलटाव, बुलिश कंट्रोल।
Bearish Engulfing
लाल कैंडल पिछली हरी को ढँक ले — ट्रेंड पलटकर नीचे।
Bullish Harami
बड़ी लाल के भीतर छोटी हरी — गिरावट थमने का संकेत।
Bearish Harami
बड़ी हरी के भीतर छोटी लाल — तेजी कमज़ोर पड़ने का संकेत।
Piercing Pattern
दूसरी हरी, पिछली लाल के बीच से ऊपर बंद — बुलिश पलटाव।
Dark Cloud Cover
दूसरी लाल, पिछली हरी के बीच तक घुसे — बेयरिश पलटाव।
Tweezer Bottom
दोनों कैंडल का लो लगभग समान — नीचे से पलटाव।
Tweezer Top
दोनों कैंडल का हाई लगभग समान — ऊपर से पलटाव।
Morning Star
लाल → छोटी → हरी — गिरावट खत्म, नई तेजी।
Evening Star
हरी → छोटी → लाल — तेजी खत्म, मंदी शुरू।
Three White Soldiers
लगातार तीन हरी कैंडल — मजबूत अपट्रेंड की शुरुआत।
Three Black Crows
लगातार तीन लाल कैंडल — मजबूत डाउनट्रेंड की शुरुआत।
Three Inside Up
Harami के बाद तीसरी हरी कैंडल ऊपर बंद — बुलिश पुष्टि।
Three Inside Down
Harami के बाद तीसरी लाल कैंडल नीचे बंद — बेयरिश पुष्टि।
Rising Three Methods
हरी के बाद बीच में छोटी लालें, फिर बड़ी हरी — अपट्रेंड जारी।
Falling Three Methods
लाल के बाद छोटी हरियाँ, फिर बड़ी लाल — डाउनट्रेंड जारी।
Breakaway Gap
रेंज तोड़कर गैप के साथ नई दिशा — ट्रेंड की शुरुआत।
Runaway / Measuring Gap
चलते ट्रेंड के बीच का गैप — उसी दिशा में मूव जारी।
Exhaustion Gap
आख़िर में बड़ा गैप, फिर उलटी कैंडल — ट्रेंड थक चुका है।

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